भारत में टीचर्स-डे मनाने की परंपरा की शुरुआत 5 सितम्बर 1962 से हुई और ये परंपरा आज देश की रगों में समा चुकी है. बता दें कि देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को हुआ था. राधाकृष्णन बेहद अच्छे और प्रसिद्ध शिक्षाविद थे. ऐसे में जब वो राष्ट्रपति बने तो उनके ही जनम्दिन पर टीचर्स डे मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई.
राधाकृष्णन ने 1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति और 1962 से 1967 तक दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा की. पूरे देश में 5 सितम्बर को टीचर्स डे बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन राधाकृष्णन के संदेशों को याद किया जाता है.
एक रोचक तथ्य
राधाकृष्णन के छात्र उनसे इतना प्यार करते थे कि एक बार वो उन्हें फूलों से सजी गाड़ी पर खुद ढकेल कर मैसूर यूनिवर्सिटी से रेलवे स्टेशन तक ले गए.
राधाकृष्णन को 1938 में ब्रिटिश ऐकेडमी का फैलो चुना गया. 1954 में उनके योगदान के लिए देश का सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार सम्मान भारत रत्न मिला.
राधाकृष्णन को 1975 में टैम्पलोटन प्राइड मिला. राधाकृष्णन ने पुरस्कार में मिली पूरी राशि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को दान दे दी. राधाकृष्णन ने कई किताबें भी लिखी. धर्म, फिलॉसफी जैसे कई विषयों पर उनकी पकड़ उल्लेखनीय थी.
राधाकृष्ण ने भारत की जनता के लिए शिक्षा के द्वार खोलने का काम किया. भारत की जनता टीचर्स डे के दिन उनके संदेशों को याद करती है
*👨🏻🏫👳🏻♀डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण👳🏻♀👨🏻🏫*
*📍जन्म-*5 सितंबर 1888
*📍पिता का नाम-*वीरास्वामी
*📍माता का नाम-*सीताम्मा
*📍प्रारंभिक शिक्षा-*क्रिश्चन मिशनरी संस्था नॉर्थन मिशन स्कूल तिरुपति
*📍मैट्रिक स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण-*1902 में
*📍विषय में विशेष योग्यता-* मनोविज्ञान ,इतिहास और गणित
*📍राधाकृष्णन ने m.a. पास किया-*दर्शनशास्त्र विषय में
*📍दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक-*मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में 1916
*📍दर्शनशास्त्र से परिचय-* राधाकृष्ण के लेख और भाषण के माध्यम से
*📍मानक उपाधियां-*यूरोप और अमेरिका प्रवास के बाद
*📍पंडित जवाहरलाल नेहरू से प्रथम मुलाकात-*1928 में शीत ऋतु में (कोलकाता अधिवेशन के दौरान)
*📍मानचेस्टर विश्वविद्यालय द्वारा आमंत्रण-*व्याख्यान हेतु 1929 में
*📍आंध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर-*1931 से 36 तक
*📍ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक-*1936 से 1952 तक
*📍जॉर्ज पंचम कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में कार्य-*कोलकाता विश्वविद्यालय 1935 से 1941 तक
*📍1939 से 48 तक-*काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चांसलर
*📍यूनेस्को में उपस्थिति-*1946 में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में
*📍संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य-*1947 से 49 तक
*📍राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना-*1952 में सोवियत संघ से आने के बाद
उप राष्ट्रपति के रूप में
*📍राधाकृष्णन का पदभार-*राज्य सभा में अध्यक्ष
*📍शिक्षक दिवस-*श्रेष्ठ शिक्षकों को सम्मानित करना
*📍शिक्षक दिवस-*सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्मदिन अर्थात 5 सितंबर को
*📍ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा सर की उपाधि-*1931 में
*📍भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित-*1954 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद द्वारा
*📍भारत रत्न पुरस्कार-*दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिए
*📍लगातार पांच सालो तक नोमिनेट हुए-*नोबेल पुरस्कार के लिए
*📍राधा कृष्ण का व्यक्तित्व-* महान शिक्षाविद ,महान दार्शनिक, महान वक्ता ,विचारक भारतीय संस्कृति के,वैज्ञानिक डॉक्टर
*📍विशेष उपलब्धि-*भारत को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाना
*📍विशेष रूचि-*अच्छी किताब पढ़ने की
*📍महात्मा गांधी से मुलाकात-*1915 में
*📍रविंद्रनाथ टैगोर से मुलाकात-*1918 में मैसूर में
*📍"रविंद्र नाथ टैगोर का दर्शन" शिर्षक पुस्तक-*डॉक्टर राधाकृष्णन द्वारा 1918 में प्रकाशित
*📍अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान-*"द रीन ऑफ रिलीजन इन कंटेंपरेरी फिलॉस्फी पुस्तक से
*📍सोवियत संघ के विशिष्ट राजदूत-*सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन 1952
*📍उपराष्ट्रपति पद पर नियुक्त-*13मई1952 से 12मई 1962
*📍राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित-*13मई 1962 में राजेंद्र प्रसाद के बाद(13मई1967)
*📍डॉक्टर सर्वपल्ली राष्ट्रपति पद पर ताजपोशी-*13 मई 1962 को 31 तोपों की सलामी के साथ
*📍डॉक्टर राधाकृष्णन का पहनावा-*सफेद कपड़े और दक्षिण भारतीय पगड़ी
*📍नाईट बेचलर की उपाधि लौटाई-*आजादी के बाद
*📍5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत-*1962 से
*📍साहित्य अकादमी फेलोशिप-*1968 में (डॉक्टर राधाकृष्ण इसे पाने वाले पहले व्यक्ति थे)
*📍टेम्प्लेटो प्राइस-*1975 (मरणोपरांत)
*📍ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा स्कॉलरशिप की शुरुआत-*1989 डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम से
*📍मृत्यु-*17 अप्रैल 1975(88वर्ष) को
*📍डॉक्टर राधाकृष्णन की जीवनी का प्रकाशन-*1989 में उनके पुत्र डॉक्टर एस गोयल द्वारा
*📍विशेष उपलब्धि-*भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति ,भारत के द्वितीय राष्ट्रपति, गैर राजनीतिक के होते हुए भी संविधान सभा क सदस्य, नोबेल पुरस्कार के लिए 5 बार चयन।
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